मेरा जन्म फरवरी 1996 में रीवा शहर के धोबिया टंकी के समीप साहू मोहल्ले में हुआ था। दिव्यांग थी तो मेरे पिता पुरुषोत्तम साहू और माता किरण ने म...
मां किरण साहू ने दावा किया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 5 लाख की इनाम राशि, घर और दुकान देने का वादा किया था, लेकिन हमें सिर्फ 5 लाख रुपए ही मिले हैं। आज तक घर और दुकान के बारे में किसी ने सुध नहीं ली। जबकि वर्तमान समय में राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है, लेकिन निराशा दोनों जगह मिली है। अगर किसी अधिकारी से कहते हैं तो जलील कर दिया जाता है। कहा जाता है कि जो कुछ मिलना था मिल चुका। अब भूल जाओ।
जब दैनिक भास्कर की टीम सीता साहू के घर पर पहुंची तो मोहल्ले के लोगों ने एक किलोमीटर पहले ही सीता के चर्चें शुरू कर दिए। कहा कि एक दशक पहले देश का दुनिया में नाम रोशन करने वाली सीता साहू आज मुफलिसी का जीवन जी रही है। गरीबी के कारण 8 बाई 36 के मकान में पूरा परिवार रहता है। मकान का आधा हिस्सा चाचा का है। आलम है कि एक कमरे में चार लोग अच्छे से बैठ तक नहीं पाते।
मोहल्ले के लोगों ने बताया कि सीता साहू के पिता पुरुषोत्तम साहू का दो साल पहले निधन हो गया। अब घर में मां किरण साहू ही सहारा है। बड़े भाई धमेन्द्र साहू और छोटे भाई जीतू साहू सहित छोटी बहन राधा साहू की शादी हो चुकी है। दिव्यांग होने के कारण सीता की शादी नहीं हो पाई है। समोसा बेचकर घर के 7 सदस्यों की रोजी रोटी चलती थी, लेकिन जिला प्रशासन को मंजूर नहीं था।
- साभार दैनिक भास्कर